GurukulTree
और अधिक कविताएँ
बंदर मामा पहन पैजामा - हिंदी कविता
एक मजेदार बंदर की दावत में रसगुल्ला खाने की हास्यपूर्ण कहानी।
बंदर मामा पहन पैजामा, दावत खाने आए, ढीला कुरता, टोपी, जूता, पहन बहुत इतराए। रसगुल्ले पर जी ललचाया, मुँह में रखा गप से खाए, नरम नरम था, गरम गरम था जीभ जल गई लप से। बन्दर मामा रोते-रोते वापस घर को आए। फेंकी टोपी, फेंका जूता रोए और पछताए।
बंदर मामा पहन पैजामा
🔥😫

बंदर मामा पहन पैजामा,

दावत खाने आए,

ढीला कुरता, टोपी, जूता,

पहन बहुत इतराए।

रसगुल्ले पर जी ललचाया,

मुँह में रखा गप से खाए,

नरम नरम था, गरम गरम था

जीभ जल गई लप से।

बन्दर मामा रोते-रोते

वापस घर को आए।

फेंकी टोपी, फेंका जूता

रोए और पछताए।

शिक्षात्मक गतिविधियाँ

सीख और सावधानी

बच्चों से चर्चा करें कि इस कहानी से क्या सीख मिलती है और गर्म खाद्य पदार्थों को खाते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

अभिनय करें

बच्चों से कविता का अभिनय करवाएँ जिसमें वे बंदर मामा बनकर कपड़े पहनने, दावत में जाने और रसगुल्ला खाने का नाटक करें।

बंदर मामा का चित्र

बच्चों को बंदर मामा का चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित करें, जिसमें वे कैसे कपड़े पहने हैं और क्या हुआ, यह दिखाएं।